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गुनाह-यह कैसा बदला

   दया ने सपने में भी नही सोचा था कि अमर उससे बदला लेने के लिये इस हद तक गिर जायेगा।छःमहीने पहले जिसने सात फेरे लेकर साथ देने और सम्मान की रक्षा का वचन दिया आज वही उसकी अंतरंग पलों का वीडियो बनाकर ब्लैकमेल कर रहा है,वायरल करने की धमकी दे रहा है।और इस गुनाह का उसे कोई अफसोस भी नही हुआ।
        दया अपने माता पिता को लगभग चार साल पहले  एक एक्सीडेंट में खो चुकी थी।तबसे वह अपने दीदी करुणा और जीजाजी  के साथ रहती थी।वह उन दिनों को याद कर रो पड़ी जब अपनी रिश्तेदार के यहाँ शादी में गई थी,अमर ने उसे वही देखा था ,और उसे प्रपोज़ किया और तीन दिन जब तक वो वहाँ रही दीवानों की तरह कभी उसे फूल,कभी गिफ्ट या कोई सरप्राइज़ देकर स्पेशल फील कराता रहा।दया भी थी तो आखिर एक आम लड़की ही,पिघल गई।वहाँ से लौटने पर अमर अगले ही दिन अपनी माँ शारदा जी के साथ उनके घर शादी के प्रस्ताव लेकर पहुंच गया था।
       अमर अपने एक मित्र के साथ कोचिंग सेंटर चलाता था। साथ में पैतृक संपत्ति के रूप में मिले दो मकान किराये से दे रखे थे।हैंडसम और खुले विचारों वाला अमर दीदी जीजाजी को भी पसन्द आ गया।
        दोनों परिवारों की सहमति से दया और अमर का विवाह मंदिर में हो गया।बहुत प्यार से दोनों का नया जीवन शुरू हुआ।
        प्यार की खुशबु से दिन रात महकने लगे।पर समय ने करवट ली और कोरोना महामारी के कारण लॉक डाउन के चलते सब कोचिंग सेंटर भी बंद हो गए।स्कुल कॉलेज बन्द होने के कारण किराये से रहने वाले छात्रों ने भी घर खाली कर दिए।शारदा जी अपने भाई के घर गई थीं ,वो भी वही फंस गई।धीरे धीरे बचत के पैसे ख़त्म होने लगे,इस कारण अमर चिड़चिड़ा सा हो गया।
        दया के जीजाजी का शहर के बड़े अस्पताल में मेडिकल स्टोर था, कोरोना के जोखिम के साथ ही सही,पर उनका मेडिकल स्टोर अच्छा चल रहा था।पैसों की कोई कमी नही थी।न जाने अमर को क्या सूझा ,वह दया से जीजाजी से पैसे मांगने को कहने लगा।बात बात पर उसको जीजाजी के पैसों का ताना देना और अप्रत्यक्ष रूप से दहेज़ की मांग करना उसके लिए आम बात हो गई।एक दिन जब  उसने दया को बहुत मारा,तो दया का धैर्य जवाब दे गया ।रोते हुए उसने अपनी  सास और अपने दी जीजाजी को सारी बातें बताई।जब सबने अमर को डाटा और समझाया तो उसने दया से माफ़ी मांगी और कहा कि माफ़ करना मैंने तुम्हे बहुत सताया।पर अब नही,हम सब भूलकर आगे बढ़ेंगे।दया की आँखों में ख़ुशी के आंसू आ गए।वो अमर के गले लग गई और कई दिनों की दूरी के बाद उसने खुद को अमर को समर्पित कर दिया।
        अगले दिन सुबह जब उसने चाय बनाकर अमर को जगाया तो उसने दया को पास बैठाया।मुस्कुराते हुए अपना मोबाइल देखते उसने दया से कहा– दया एक बहुत अच्छा वीडियो है तुम्हे भेज रहा हूँ ,देखो मजेदार है।
         दया ने अपना व्हाट्स अप ओपन किया तो वीडियो देख उसके होश उड़ गए।उसने नाराज होते हुए अमर से कहा ये सब क्या है अमर, हमारे उन पलों का ऐसा वीडियो नही बनाना चाहिए।डिलीट कर दो,किसी और ने देख लिया तो।
       दया की बात सुनकर अमर हँसने लगा ।बोला कि मैं तो चाहता हूँ कि सब देखें मेरी बीवी कितनी खूबसूरत है।अपने पति की घटिया बात सुनकर उसकी आँखे फ़टी रह गई।उसने सपने भी नही सोचा था कि अमर उसके साथ ऐसी गंदी हरकत कर सकता है।
       मैं तुम्हारे हाथ जोड़ती हूँ, प्लीज़ ये डिलीट कर दो।दया की बात सुन अमर ने कमीनेपन से उसके सर पर हाथ फेरते हुये उसके बाल खींचे और कहा –"तू मेरी शिकायत करेगी न सबसे।तूने मेरी बेइज्जती कराई,मैं भी तो वही कर रहा हूँ।"
     " नही प्लीज़ ऐसा मत करो।मैं.... मैं तुमसे माफ़ी मांगती हूँ।माफ़ कर दो,अब ऐसा नही करूंगी,कभी किसी से नही कहूँगी।सॉरी.. सॉरी।" दया को गिड़गिड़ाते देख अमर के अहम को संतुष्टि हुई।दया के आंसुओं से उसके दिल को ठंडक मिल रही थी।
         उसने दया से कहा,"अब ये मेरे मोबाइल में सेव रहेगा अगर कभी फिर तुमने मेरी बात नही मानी तो वीडियो वायरल....ठीक है न।"
      "नही ,प्लीज़ डिलीट कर दो न प्लीज़।" दया रोती रही।इस तरह छले जाने से उसका दिल टूट गया था।उसे कोई रास्ता नही सूझ रहा था कि क्या करे।उसके मन में आत्महत्या का विचार आ रहा था ।नफरत हो रही थी अमर से और अपने आप से भी।तभी अमर आया उसके पास बैठा और उसके होंठो पर उंगली फेरते हुए बोला,"मेरी जान एक कप कॉफी मिलेगी।"
           दया बेबस सी उठकर किचन में कॉफी बनाने लगी ,वहाँ उसकी सास की नींद की दवा रखी थी।उसने आंसू पोछे और अमर की कॉफी में डरते डरते दो गोलियां डाल दी।
आधे घण्टे बाद कॉफी का असर होते ही अमर की नींद लग गई।दया ने उसके जेब से मोबाइल निकाला और सीधे पुलिस स्टेशन चली गई। जब अमर की आंख खुली तो पुलिस को देख सकपका गया।
         अमर ने दया से बदला लेने के लिये बहुत घटिया तरीका अपनाया।और तो और भविष्य में भी वह उसे ब्लैकमेल कर सकता था।दया ने अपने आत्मसम्मान की रक्षा के लिए अमर की धमकी से डरने,हारने या आत्महत्या करने की बजाय उसके गुनाह के खिलाफ आवाज उठाई।अगर वह हार मान लेती तो हमेशा शोषित होती रहती।
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      प्रीति ताम्रकार
       जबलपुर

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7 Comments

madhura

23-Jul-2023 10:08 AM

Nice

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🤫

03-Sep-2021 03:19 PM

अच्छी कहानी...! अपराध को सहने की जगह उसके विरोध के लिए कोशिश करनी ही चाहिए..😊

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Dr. SAGHEER AHMAD SIDDIQUI

01-Sep-2021 09:27 PM

Nice

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